बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय | Kabir Ke Dohe

bura jo dekhan main chala bura na miliya koy, kabir ke dohe, बुरा जो देखन मैं चला
Bura jo dekhan main chala

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ॥

अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जब मैंने संसार में बुराई को ढूँढा तो मुझे कहीं नहीं मिला पर जब मैंने अपने मन के भीतर झाँका तो मुझे खुद से बुरा इंसान नहीं दिखा।

साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय ।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥

अर्थ – कबीर दास जी ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि मुझे इतना धन दीजिये जिससे मेरे परिवार का निर्वहन हो जाये और अगर घर में कोई साधु आये तो वह भी भूखा न लौटे।

कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये ।
ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये ॥

अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जब बच्चे का जन्म होता है तब बच्चा रोता है और सब लोग हँसते हैं। हमें जीवन में ऐसा कर्म करना चाहिए कि जब हम इस धरती से विदा लें तब हम हँसे और सारा संसार रोये।

जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी है मैं नाही ।
सब अँधियारा मिट गया, दीपक देखा माही ॥

अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जब तक मेरे अंदर मैं (अहंकार) था मुझे हरि (ईश्वर) नहीं मिले। अब जब मुझे ईश्वर मिले हैं तो मेरा मैंपन कहीं खो गया है। मुझे अपने अंदर का दीपक मिल गया है जिससे मेरा सारा अंधकार दूर हो गया।

जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ ।
मैं बपुरा बूडन डरा, रहा किनारे बैठ ॥

अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि मोती उसे ही प्राप्त होगा जो गहरे पानी में उतरेगा। जो डर कर किनारे बैठा रह जायेगा उसे कुछ भी प्राप्त नहीं होगा। ठीक उसी प्रकार जीवन में सफलता भी उसे ही मिलेगी जो कठिनाइओं से बिना डरे कठिन पुरुषार्थ करेगा।

कबीरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर ।
ना काहू से दोस्ती, न काहू से बैर ॥

अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि हमें सबका भला सोचना चाहिए। क्योंकि इस संसार में एक ईश्वर के अलावे धन-दौलत, रिश्ते-नाते, मित्र-शत्रु कुछ भी शाश्वत नहीं है।

ऐसा कोई ना मिले, हमको दे उपदेस ।
भौ सागर में डूबता, कर गहि काढै केस ॥

अर्थ – इस दोहे में कबीर दास जी के सद्गुरु से ना मिलने की पीड़ा झलकती है जो यथार्थ उपदेश देकर इस भव सागर में डूबने से बचा लेते।

बैद मुआ रोगी मुआ, मुआ सकल संसार ।
एक कबीरा ना मुआ, जेहि के राम आधार ॥

अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि इस नश्वर संसार में एक वही अमर है जिसने राम को अपने जीवन का आधार बना लिया है।

Also read:
गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागू पाय
काल करे सो आज कर आज करे सो अब

बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय
( Bura Jo Dekhan Main Chala Bura Na Miliya Koy )

2 thoughts on “बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय | Kabir Ke Dohe”

Leave a Comment