बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोय | Kabir Ke Dohe

bura jo dekhan main chala bura na miliya koy, kabir ke dohe, बुरा जो देखन मैं चला

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ॥ अर्थ – कबीर दास जी कहते हैं कि जब मैंने संसार में बुराई को ढूँढा तो मुझे कहीं नहीं मिला पर जब मैंने अपने मन के भीतर झाँका तो मुझे खुद से बुरा इंसान नहीं दिखा। साईं … Read more

काल करे सो आज कर आज करे सो अब | Kabir Ke Dohe

काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ।पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब ॥ अर्थ – कबीर दास जी इस दोहे में कहते हैं कि कभी भी कल पर कोई काम मत छोड़ो, जो कल करना है उसे आज कर लो और जो आज करना है उसे अभी कर लो। किसी को … Read more

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े काके लागू पाय | Kabir Ke Dohe

गुरु गोविन्द दोऊ खड़े , काके लागू पाय |बलिहारी गुरु आपने , गोविन्द दियो बताय || अर्थ – कबीर दास जी ने इस दोहे में गुरु की महिमा का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि जीवन में कभी ऐसी परिस्थिति आ जाये की जब गुरु और गोविन्द (ईश्वर) एक साथ खड़े मिलें तब पहले … Read more

रहिमन धागा प्रेम का मत तोरो चटकाय | Rahim Ke Dohe

रहिमन धागा प्रेम का , मत तोरो चटकाय | टूटे पे फिर ना जुरे , जुरे गाँठ परी जाय || अर्थ – रहीम जी कहते हैं कि क्षणिक आवेश में आकर प्रेम रुपी नाजुक धागे को कभी नहीं तोड़ना चाहिए। क्योंकि एक बार अगर धागा टूट जाये तो पहले तो जुड़ता नहीं और अगर जुड़ … Read more

Exit mobile version